मरीज़ के बताये अनुसार : मैं एक पैतीस वर्षीय मजदूर हूँ. मकान बनाने वाले ग्रुप में छोटे छोटे काम करता हूँ.
जैसे कि ईंटें उठाना और पथ्थर तोड़ना आदि.
मेरा बचपन ना ज्यादा अच्छा था और ना ही बुरा था. हम तीन भाई थे और साथ में माता-पिता थे. मेरे पिता जी भी इसी तरह की मजदूरी किया करते थे. हम तीनो भाइयों ने पढ़ाई नहीं की क्यूंकि हमारे पिता जी इतना नही कमा पाते थे की हर चीज़ की जा सके, और फिर हम गाँव के रहने वाले थे. उस समय गावं में सभी लोग पढ़ाई से ज्यादा काम करना पसंद करते थे. वहां सभी का ये मानना था कि पढ़ाई करने से कुछ नही होता काम करने से चार पैसे घर में आते हैं. यही पाठ हमें भी सीखा था इसी कारण हम सभी भाई काफी छोटी उम्र से ही काम करने लगे थे.
पिताजी काम करने के लिए जाते थे और हम सब भाई घर के काम करते थे. जैसे गाय को चराना, जंगल से लकड़ी काट के लाना आदि. यही सब काम में दिन बीत जाता था. जब हम सभी भाई दस वर्ष की आयु से अधिक हुए तब सभी कुछ ना कुछ काम करने लगे थे. मुझे याद है मैं जब ग्यारह साल का था, उस समय मैं एक बोरे में ढेर साड़ी पीपल की पत्तियां भर कर बाज़ार में बेचने जाता था.
चौदा साल की उम्र तक यही सब किया फिर पिता जी और मेरे भाइयों के साथ मैं भी मजदूरी करने जाने लगा था. परिवार में आर्थिक समस्या थी मगर फिर भी परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे से मिल-कर, प्रेम भाव से रहते थे. चाहे कभी भर पेट खाना ना मिले पर एक दूसरे को खुश देख कर सभी खुश रहते थे.
इसी प्रेम-भाव के साथ वक़्त गुज़रता गया और हम सभी भाई बीस साल की उम्र तक आ गए. सभी भाइयों में एकता होने से हम सभी की कोशिशों के फलस्वरूप परिवार में समस्यां काफी हद तक काम हो गई थीं. इसी बीच पिता जी ने बड़े भाई की शादी तय कर दी और छबीब्स साल की उम्र में बड़े भाई की शादी हो गई. उन्होंने घर की सभी जिम्मेदारी संभाल ली थी. मैं नियमित मजदूरी करने जाता था वहां कुछ लोगो से मेरी दोस्ती भी हो गई थी काम के साथ साथ थोड़ा मस्ती मज़ाक भी होने लगा था. कुछ ही दिनों बाद उन दोस्तों के साथ रहकर में बीड़ी पीना शुरू कर दिया था.
हालांकि बीड़ी बहुत ज्यादा नहीं पीता था मगर दो चार तो पी ही लेता था. धीरे धीरे मेरी संगती बिगड़ ने लगी और फिर में ब्लू फिल्म दिखने लगा और कुछ ही दिनों में कॉल-गर्ल्स के पास भी जाने लगा था.
करीब दो साल तक निरंतर एक दो दिन के अंतराल से में कॉल-गर्ल्स के पास जाता था, फिर मेरी शादी तय हो गई और कुछ ही दिनों बाद शादी हो गई. तब मैंने कॉल-गर्ल्स के पास जाना छोड़ दिया.
शादी के बाद मैं अपने काम को ही बदल दिया क्यूंकि वहां वही सब दोस्त थे जिनकी वजह से मैं गलत राह पर चलने लगा था. मैंने की जगह अपने गावं की एक व्यक्ति के खेत की देख-भाल का काम शुरू कर दिया. कुछ ही दिनों बाद मेरे से छोटे वाले भाई की शादी भी हो गई. सभी लोग एक जूट होकर रहने लगे.
सब कुछ अच्छा चल रहा था मेरी शादी के दो साल लड़की हो गई. मेरा काम भी अच्छा चल रहा था. मेरी शादी के पांच साल बाद एक दिन मेरी लड़ाई उसी इंसान से हो गई जिसके खेत की मैं देख-रेख करता था. उसके साथ लड़ाई हो गई जिस वजह से मैंने वहां से काम छोड़ दिया. कुछ दिनों बाद उसी व्यक्ति से मेरी पुनः लड़ाई हो गई वो मुझे मारने के लिए मेरे घर भी आने लगा तब मेरे पिता ही और मेरे भाइयों ने मुझे गावं से दूर जा कर रहने को कहा तब मैंने भी उनकी बात मान ली और अपनी पत्नी को लेकर संघाखेड़ा कलाँ जिला होशंगाबाद में रहने लगा शादी होने के तीन साल बाद मैं अपने घर से अलग हुआ था. घर से अलग रहने के बाद मैंने पुनः मजदूरी करना शुरू कर दिया धीरे धीरे अपने घर को संभाला और वक़्त के साथ सब कुछ ठीक हो गया. घर से अलग होने के एक साल बाद एक लड़का और हो गया दो साल बाद फिर एक लड़की हुई. घर में बच्चे होने से परिवार में दिल लगा रहता था.
घर से अलग होने के पांच साल बाद से मुझे रोज़ सहवास करने के आदत हो गई थी मैं एक रात में तीन से चार बार तक सहवास करता था. बत्तीस साल की उम्र में आकर मुझे गुप्त रोग की समस्याएं होने लगी थी. जैसे - लिंग के उथित अवस्था में कमज़ोरी, वीर्य का पतला-पन, शीघ्रपतन जैसे कई विकार उत्पन हो गए जिससे मुझे मानसिक समस्या होने लगी मैं अपनी यह समस्या किसी को बता नहीं पा रहा था. इसी बीच मेरी पत्नी ने भी मुझे इलाज़ करवाने को कहा. पर मैं नहीं करवा सकता क्योंकि मैं किसी से ये सब बोल नहीं पता था. कुछ ही दिनों में मुझे शारीरक कमज़ोरी होने लगी खाने पीने का भी दिल नहीं होता था. तैतीस साल की उम्र तक आते आते मुझे पेट दर्द की समस्या भी होने लगी साथ ही खट्टी डकार भी आने लगी. मैं समझ गया था की ये सब वे-वक़्त खाना खाने से हो रहा है. पर फिर भी इसमें सुधार नही ला पा रहा था.
कुछ ही महीने बाद समस्या इतनी होने लगी कि पेट में दर्द अत्यधिक होने लगा. दर्द से निजात पाने के लिए दर्द निवारक दवाइयाँ भी खाने लगा पर कोई आराम नही मिलता था बल्कि कुछ ही दिनों के बाद खाना खाने के ठीक बाद में मुझे शौच के लिए जाना पड़ता था. कुछ दिनों बाद पेशाब में जलन, पेशाब नज़दीक
ही गिरना साथ ही पतली धार में पेशाब होने की समस्या होने लगी. पेशाब भी रुक रुक के
होती है. पर इन समस्या के साथ ही मुझे मुख्य समस्या पेट दर्द जिसमे मुझे कोई आराम नही
मिल पा रहा था. दिन प्रतिदिन समस्या के बड़े जाने के कारण मुझे अत्यधिक दर्द होता था.
आठ
महीने पहले मैं अपने परिचित से मिलने नागपुर गया था तब अचानक पेट दर्द की समस्या होने
लगी तो नागपुर में अपने परिचित के कहने पर इलाज़ करवाया. वहां मेरे पेट की जांच भी हुई
और बोवेल वाश भी हुआ था जिससे मुझे थोड़ा आराम आ गया था. नागपुर में ही मुझे डायबिटीज
की समस्या का भी पता चला था. जिसका इलाज़ भी वहीँ से शुरू हुआ था पहले मुझे डायबिटीज़
की समस्या के लिए दवाइयाँ दी गई थी पर उनसे कंट्रोल नहीं होने पर मुझे इन्सुलिन इंजेक्शन
लेना शुरू करना पड़ा था. नागपुर का इलाज मैंने तीन महीने तक किया पर पेट की समस्या में
आराम नही लग रहा था साथ ही डायबिटीज की समस्या में भी कोई सुधार नही लगा तो मैंने नागपुर
का इलाज़ बंद कर दिया पर इन्सुलिन एक दो माह और लिया फिर आर्थिक समस्या के कारण वो
भी लेना बंद कर दिया कारण था पैसो की कमी था. इन्सुलिन लेना बंद करने के बाद मुझे कमजोरी,
चक्कर आना, बार बार पेशाब आना, पेशाब में सफ़ेद जाग बहुत ज्यादा बनने के समस्या होने
लगी थी. भूख ज़्यादा लगती थी. खाने के ठीक बाद ही शौच भी जाना पड़ता था.
मैंने
इन समस्या का आयुर्वेदिक इलाज़ भी करवाया पर कोई आराम नहीं लग रहा था. साथ ही गुप्त
रोग वाली समस्या का जिक्र इतना सब होने पर भी किसी से नहीं किया था.
जैसे
तैसे ये सब समस्या के साथ गुज़र बसर हो ही रहा था की पांच मैंने पहले अचानक से पेट में
अत्यधिक दर्द हुआ उस समय शाम का वक़्त था. मेरे परिजन मुझे तुरंत स्थानीय अस्पताल में
लेकर पहुंचे. वहां इमरजेंसी में दिखाया तो वहां नर्स ने मुझे दर्द निवारक इंजेक्शन
मेरे लेफ्ट हिप में लगाया. इंजेक्शन के लगते ही मुझे उल्टे पैर में ऐसा लगा जैसे कि
करंट लग गया हो और फिर झुनझुनाहट होने लगी थी. इंजेक्शन के लग जाने के बाद मुझसे उठा
भी नहीं जा रहा था. तब मेरे परिचित ने मुझे उठा के बाइक पर बैठाया और घर लेकर पहुँचा.
घर पहुँचने के बाद भी स्वयं उठा नहीं जा रहा था. मैं बिस्तर में ही लेता रहा अगले दिन
पुनः वहीँ अस्पताल में जाकर अपनी ये समस्या बताई तो डॉक्टर ने कहा की दर्द के कारण
भी ऐसा होता है और यह कह कर मुझे एक और इंजेक्शन लगवाने को सलाह दी तब नर्स ने मुझे
राइट हिप पर इंजेक्शन लगा दिया और दवाइयाँ चलती रही पर एक महीने होने पर भी इस नई समस्या में जब कोई सुधार नही मिला तो भोपाल में आकर इलाज़ करवाने का सोचा फिर भोपाल के जे. के. अस्पताल में समस्या को बताया तो यहाँ इलाज़ शुरू तो हो गया परन्तु मेरी मुख्य दो समस्या में से केवल एक पर ही ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा था. पेट दर्द की और डायबिटीज़ की समस्या पर, मेरी दूसरी जो समस्या थी पैर वाली उस पर ज्यादा ध्यान नही रहा किसी का तब मैंने एक महीने यहाँ भर्ती रहने के बाद घर जाने कर मन बना लिया और घर वापस आ गया यहाँ आकर मैंने मालिश, सिकाई और स्वयं के प्रयत्न से इतना सुधार कर लिया के मैं स्वयं थोड़ा थोड़ा चलने फिरने लगा था पर मेरा उल्टा पैर ठीक तरह से काम नहीं कर रहा था तो मैंने पुनः ये समस्या के साथ भोपाल के जे. के. अस्पताल में आया इस बार यहाँ के मेडिसिन विभाग के डाक्टरों ने मेरी समस्या को समझा और इलाज़ शुरू कर दिया. यहाँ मुझे मेरी समस्या का कारण भी पता चला की मुझे पेट दर्द के समय जो इंजेक्शन लगाया गया था वो शायद गलती से नर्व में चोट लग गई है. जिस
वजह से लेफ्ट पैर में ठीक तरह से काम नहीं कर पा रहा है. मुझे ये जानकर समझ आया कि
एक छोटी सी गलती कितना नुकसान पंहुचा सकती है. ये सब सोच कर मैं निराशा में घिरने लगा
था और मुझे मेरी बच्चो की चिंता होने लगी तब डॉक्टर ने मुझे समझाया और निराश ना होने
की सलाह दी, मुझे मानसिक रूप से भी प्रोत्साहित किया तो मुझमे इन समस्या से मुकाबला
करने की शक्ति आई और मैंने भी जल्द ही ठीक होने का मन में विचार बना लिया और यहीं अस्पताल
में ही रहकर इलाज़ पूरा करवाने का फैसला किया.
ये
फैसला सही होता भी नज़र आने लगा है, डॉक्टर के दिए उपचार से मुझे काफी फायदा हो रहा
है साथ ही नियमित फिजियोथैरेपी करवाने से मेरे पैर में भी सुधार आ रहा है. जो डाइबिटीज
इन्सुलिन के इंजेक्शन से ही कंट्रोल होती थी उसे दवाइयों से ही कंट्रोल किया जा रहा
है जिससे मुझे दर्द नहीं है. खाना खाने के बाद शौच जाने की समस्या भी लगभग ठीक होने
लगी है. पर मुझे पेट दर्द की समस्या में अभी फायदा नही हुआ है. साथ ही गुप्त रोग वाली
समस्या में सुधार आने की मैं आशा कर रहा हूँ. अगर मेरी सभी समस्या ठीक हो जाती हैं
तो मैं सामान्य जीवन उत्साह के साथ जी पाउँगा. मेरे परिवार में किसी को
भी ऐसी कोई समस्या नहीं है. मैं भी जल्द ही इनसे मुक्त हो कर अपने परिवार और माता पिता
के पास रहना चाहता हूँ.
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मेरी चलते समय जो समस्या है उसे इस वीडियो में देखा जा सकता है. |